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मिसिर हरिहरपुरी की कुण्डलिया



मिसिर हरिहरपुरी की कुण्डलिया


कोमल पुष्प मसल नहीं, इससे बनता हार।

जिसे पहनकर विष्णु भी, मानत हैं उपकार।।

मानत हैं उपकार, भक्त की करते रक्षा।

देते हैं वरदान, ज्ञान प्रेम और दीक्षा।।

कहें मिसिर कविराय,फूल होता है निर्मल।

देवों का श्रृंगार, बहुत नाजुक प्रिय कोमल।।


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1 Comments

Muskan khan

09-Jan-2023 05:59 PM

Nice

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